जब कलम पकड़ती हूँ, तो लकड़ी छूट जाती है! जब कलम पकड़ती हूँ, तो लकड़ी छूट जाती है!
न ही कभी खरीदी जा सकती हैं खुशियाँ। दिखाने के लिए कोई दिखावा नहीं माँगती खुशियाँ। न ही कभी खरीदी जा सकती हैं खुशियाँ। दिखाने के लिए कोई दिखावा नहीं माँगती खुशि...
एक कला है, जोड़े रखना सब से संबंध। एक कला है, जोड़े रखना सब से संबंध।
हर रंग का वर्णन करो तो, पन्ने भी पड़ जाएंँगे कम। हर रंग का वर्णन करो तो, पन्ने भी पड़ जाएंँगे कम।
बैठे थे यूँ इस कदर कि आपका ख्याल आया गया सोचने से पहले ही, मौत का पैगाम आ गया। बैठे थे यूँ इस कदर कि आपका ख्याल आया गया सोचने से पहले ही, मौत का पैगाम आ गया...